महाकुंभ भगदड़: मौनी अमावस्या के अमृत स्नान में बड़ा हादसा
मौनी अमावस्या के दूसरे और सबसे बड़े अमृत स्नान के दौरान संगम पर देर रात भगदड़ मच गई। प्रशासन के अनुसार, इस घटना में 30 लोगों की मौत हो गई, जबकि 60 लोग घायल हो गए। यह घटना तब हुई जब प्रशासन और पुलिस सुरक्षा व्यवस्थाओं का दावा कर रही थी। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर चूक कहां हुई?
सात करोड़ पचास लाख श्रद्धालुओं ने किया पवित्र स्नान
मौनी अमावस्या के दिन शाम 6 बजे तक लगभग 7.64 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके थे। 28 जनवरी तक यह संख्या 19.94 करोड़ तक पहुंच गई थी। पुलिस और प्रशासन ने व्यापक तैयारियों का दावा किया था, लेकिन एक छोटी सी चूक के कारण बड़ा हादसा हो गया। आइए, जानते हैं इस भगदड़ के पीछे की मुख्य वजहें।
भगदड़ के पीछे की पांच बड़ी वजहें
1. लाखों श्रद्धालुओं को एक साथ संगम की ओर भेजा गया
महाकुंभ क्षेत्र में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए 84 होल्डिंग एरिया बनाए गए थे, लेकिन इनका सही उपयोग नहीं हो पाया। मंगलवार रात श्रद्धालु काली मार्ग पार्किंग और अन्य स्थानों पर बैठे थे, तभी पुलिस ने उन्हें संगम की ओर बढ़ाना शुरू कर दिया। इसके चलते सुबह 9 बजे से संगम पर भारी भीड़ जमा हो गई, जिससे भगदड़ की स्थिति बन गई।
2. वन-वे योजना हुई विफल
संगम पर प्रवेश और निकास के लिए एकतरफा यातायात योजना बनाई गई थी, जिसमें श्रद्धालुओं को काली रोड से त्रिवेणी बांध होते हुए संगम नोज तक पहुंचना था और अक्षयवट मार्ग से वापस लौटना था। लेकिन इस योजना को ठीक से लागू नहीं किया जा सका। अधिकांश श्रद्धालु अक्षयवट मार्ग का उपयोग नहीं कर रहे थे, जिससे संगम ऊपरी मार्ग पर भीड़ का दबाव बना रहा।
3. पोंटून पुल बंद होने से बढ़ी अव्यवस्था
श्रद्धालुओं की आवाजाही के लिए मेले में 30 पोंटून पुल बनाए गए थे, लेकिन इनमें से 12 से 13 पुल बंद रखे गए थे। इससे संगम आने वाले श्रद्धालुओं को कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। बुजुर्ग और कमजोर श्रद्धालु थककर संगम किनारे बैठ गए, जिससे वहां भीड़ बढ़ती गई और भगदड़ जैसी स्थिति बन गई।
4. प्रशासनिक लापरवाही और मनमानी
महाकुंभ क्षेत्र में सड़कें चौड़ी थीं, लेकिन अधिकतर समय उन्हें बंद रखा गया। मुख्य मार्गों पर बैरिकेडिंग कर दी गई थी, जिससे श्रद्धालुओं को पैदल ही आगे बढ़ना पड़ा। थकान के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम तट पर ही बैठ गए, जिससे वहां भीड़ अत्यधिक बढ़ गई और स्थिति अनियंत्रित हो गई।
5. सुरक्षा बलों की तैनाती में देरी
महाकुंभ में राहत और बचाव कार्य के लिए भारी संख्या में फोर्स तैनात की गई थी, लेकिन उन्हें अलग-अलग सेक्टरों में प्रभावी ढंग से नहीं रखा गया। भगदड़ के दौरान सेक्टर नंबर 10 में तैनात सीआईएसएफ की कंपनी को बुलाया गया, लेकिन सेक्टर 10 से सेक्टर 3 तक पहुंचने में काफी समय लग गया। इस कारण बचाव कार्य में देरी हुई और स्थिति और बिगड़ गई।
निष्कर्ष
महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक आयोजन में भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा प्रबंधन सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। इस भगदड़ से साफ है कि प्रशासन की योजना में कई खामियां थीं, जिनके कारण यह दुखद घटना घटी। भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन को अपनी रणनीति को और मजबूत बनाना होगा।